जानें गोलकोंडा किले की है दिलचस्प कहानी

यह किला तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के पास स्थित है। किला 1143 का है, जब इसे कुतुब शाही राजवंश द्वारा बनवाया गया था।

ऐतिहासिक गोलकोंडा किले का नाम एक तेलुगु शब्द 'गोल्ला कोंडा' से लिया गया है जिसका अर्थ है चरवाहा।

प्रारंभ में यह एक मिट्टी का किला था लेकिन बाद में कुतुब शाही राजवंश के दौरान ग्रेनाइट में बदल दिया गया।

इस किले में कुछ गुप्त सुरंग हैं, जो दरबार हॉल से शुरू होती है और हिल के बॉटम तक एक महल तक जाती है। कहा जाता है कि यह बचने के मार्ग के रूप में बनाई गई थी, लेकिन इसे कोई ढूंढ नहीं पाया है।

संयुक्त राज अमेरिका में गोलकोंडा नाम से ही तीन जगहों के नाम पड़े हैं- एरिजोना, इलिनोइस और नेवादा में, एरिजोना और नेवादा के माइनिंग टाउन को  गोलकोंडा टाउन के नाम से जाना जाता है।

हालांकि अब एरिजोना और नेवादा के टाउन घोस्ट टाउन के नाम से जाने जाते हैं।

कहा जाता है कि दुनियाभर के लोकप्रिय हीरे जैसे दरिया-ए-नूर, नूर-उल-ऐन हीरा, होप डायमंड और रीजेंट डायमंड की खुदाई गोलकुंडा की खानों में की गई थी।

गोलकोंडा के सबसे ऊपर श्री जगदम्बा महा मंदिर स्थित है। राजा - इब्राहिम कुली कुतुब शाह अपनी प्रजा के बीच इतना लोकप्रिय था कि उसे हिंदुओं द्वारा मलकाभिराम कहा जाता था।

इस किले के अंदर ही एक बहुत पुराना अफ्रीकी बाओबाब पेड़ है, जो 400 साल पुराना है। कहा जाता है कि इस पेड़ को कुछ अरेबियन ट्रेडर्स ने सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह को तोहफे में दिया था।